Saturday, October 4, 2008

चंडीगढ़ से

गुरुवार को पापा बहुत दिनों बाद टूर से लौटे और कुछ ही देर बाद हम चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गये. कार से...यहाँ मेरे प्यारे अर्पित और क्षितिज चाचा रहते हैं. मुझे बहुत याद कर रहे थे और बुला रहे थे.. पर क्या करता अकेला नहीं जा सकता न? अब पापा को फुर्सत मिली है... तो हम सभी छुट्टियां मनाने चंडीगढ़ आ गये..
यहाँ बहुत मज़ा आ रहा है.. चाचा तो मेरे साथ खेलते हैं , मामी दादी भी बहुत मस्ती करती है.. और बड़ी दादी भी मुझे देख बहुत खुश हैं ...अर्पित चाचा और क्षितिज चाचा में तो मेरे साथ खेलने की होड़ लगी हुई है. और मज़े की बात कि यह चाचा टीवी देखना भी भूल गये हैं .. अब मुझसे वक्त मिले तो टीवी देखे.. बेचारी टीवी..
अर्पित चाचा तो मुझे गोद में उठा सकते है पर क्षितिज चाचा को अभी टाईम लगेगा..

2 comments:

  1. 'oye hero, pinku pinku tabhee soch rhee thee itne dino se koee khabar nahee hai, adee maharaj kee khan hain aaj kul, ab jake pol khulee jnab kee, vo to chandigarh mey holidays mna rhe hain chacha or nanee ke sath han, lakin dekho aise humko bhulna bhee to achee baat nahee hai na lucky charm. vaise bhut enjoy kr rhe ho, saff deekh rh hai, jantey ho chandigarh se humara bhee gehra ristha hai, humare bhee bhut sare relatives rehten hain chandigarh mey.... jgeh bhee bhut acche hai na. or han time mile to chandegarh ke 17 sector ke market jrur ghumna ok..., chlo enjoy your holidays and pay my regards to your nanee jee and lov to your chote chote chacha's ok.

    love ya

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  2. क्या बात है!! बहुत मस्ती कट रही है चाचा लोगों के साथ चण्डीगड़ में. खूब मनाओ छुट्टी..खूब खेलो!!

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